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इन दिनों हवा में
आक्रोश घुल रहा है
जल रहा दिल कहीं
पिघल रहा है दर्द कोई
जो नासूर बन
सदियों से सड़ रहा था
अब धीरे-धीरे
नई सोच में
ढल रहा है ...
कुछ जख्मों के निशान
ख़ून से सने ईमान
मिटाए नहीं मिटे

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