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हे! मनोहर अमलतास



तुम्हें देख उमगता मन
हृदय में भर जाता उल्लास
तुम्हारी स्वर्णिम पंखुड़ियाँ
जैसे बिखेरती सोने की बूँदें
दूर से ही देखकर तुम्हें
होता अद्भुत आभास

नवयौवन की मुस्कान लिए
चित्त चुराती छवि तुम्हारी
अंतस को करती आह्लादित
तुम्हारा सुरम्य,सुदर्शन रूप
दिलाता वसंत की याद
जगाता

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