
हार-वार तो जीत के ही हिस्से हैं
धूप-छाँव ये ज़िंदगी के किस्से हैं
वो कौन है जिसने दुःख सहा नहीं
जिसकी आँखों से आँसू बहा नहीं
बिना ताप सहे बादल बरसा है कभी
बिना रात के ही तारा चमका है कभी
बिना चले ही कौन बना सका है राह
बि
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