हँस खेल रही है प्रकृति देखो
सुंदर बहुरंगी आँचल ओढ़े
घूँघट के पट खोलता सूरज
है धरती से अपना नाता जोड़े
पैरों में पहन वसंती पायल
हवा फिर रही है अलकें छोड़े
इठलाकर बलखा रहीं लताएँ
झूम रही हैं जैसे हों नशे में थो
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हँस खेल रही है प्रकृति देखो
सुंदर बहुरंगी आँचल ओढ़े
घूँघट के पट खोलता सूरज
है धरती से अपना नाता जोड़े
पैरों में पहन वसंती पायल
हवा फिर रही है अलकें छोड़े
इठलाकर बलखा रहीं लताएँ
झूम रही हैं जैसे हों नशे में थो