
देश के निमित्त ओज की अनंत धार हो कि
शत्रु भी विचार कई बार करके देख ले
सिंह की दहाड़ से अनंत नाद ऐसा बजे
मृत्यु का वो ख्वाब बार बार करके देख ले
धर्म और अधर्म
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देश के निमित्त ओज की अनंत धार हो कि
शत्रु भी विचार कई बार करके देख ले
सिंह की दहाड़ से अनंत नाद ऐसा बजे
मृत्यु का वो ख्वाब बार बार करके देख ले
धर्म और अधर्म