
गरीबी हूँ, सियासत ने मुझे धनवान कर डाला
सियासत के चुनावों ने मुझे भगवान कर डाला
मैं थी मजबूर, अंबर वस्त्र थे मेरे
पाँव भी लड़खड़ाते थे, मगर अभ्यस्त थे मेरे
किसी कूचे, किसी परदेश की मैं सेविका थी
किसी मजबूर के अरमान की मैं प्रेमिका थी
मगर इस भूख ने मेरा मकाँ सुनसान कर डाला
गरीबी हूँ सियासत ने मुझे धनवान कर डाला
देश में हो रहे दंगों की मारी हूँ
पेट की आग से पनपी बीमारी हूँ
किसी पूँजीपति का इश्क हूँ मैं
दबी कुचली निगाहों का, दहकता अश्क हूँ मैं
सियासत के दलालों ने मुझे नीलाम कर डाला
गरीबी हूँ सियासत ने मुझे धनवान कर डाला
भूख से बिलखते बच्चों की, आँखों का मैं पानी हूँ
सितम को ढो रही लंबी कहानी हूँ
जे
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