
अब छोड़ नायिका का श्रृंगार
ओ कलम! क्रांति की आग लिखो
जिसने खोया श्रंगार अटल
उस नारी का तप त्याग लिखो
जो हुआ अमर निज देश हेतु
उसका सूना संसार लिखो
और लिखो वेदना उस दुल्हन की
जो पर्वत जैसी विशाल
जिसके जीवन का मधुर मिलन
बन ग
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