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रूठे दोस्त को मनाऊ

तेरे मेरे रिश्ते में कोई रंज नही
पाक प्यार है और कोई रंग नही
मिले हैं इतने सालो बाद
पुरानी यादें हैं और कोई अंग नही 

दोस्तों का नटखटपन है छेड़खानी है
रूठना मनाना है शिकवे गिले नही
कभी कोई ग़ुस्ताख़ी है तो माफ़ी भी है
शायद कभी ज़्यादती है प्यार में कमी नही

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