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खुशी की नज़्में

चलो आज खुशीकी नज़्में लिखते हैं 

मौका-ए-नज़्में-ए-गम तो बहोत आयेगे

मौका-ए-खुशी है तो सिर्फ़ आजके दिन

हंसेंगे नाचेंगे गायेंगे खुशीया मनायेंगे।


खुशी तो ज़र्रे ज़र्रे में आतीं हैं

रेतकी तरहा दानेदानेमें मिलती है

कहीं हाथसे फिसल ना जाये इसलिए

हर वक्त इब्न-ए-बब्बन समेटनी पड़ती है।


गम का क्या वो तो सैलाब है 

आतेही सब निगल जाता ह

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