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संकोच नहीं विचार

हो गया क्या? क्या छीन गया?
फिर क्यों मैं इतना झीम गया?
ठीक है भीतर ही जीत गई वो ,
बाहर पहरा बड़ा गहरा है।

भीतर जितना भार लगे , 
बाहर एक सुर एक ताल रहे ,
छाया और काया एक नहीं ,
छा
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