प्रसांगिक's image
समझा सब है ,
नहीं समझता तो इशारों की क्या जरूरत,
कोई ऐसा नहीं है जिसने संकेत ना दिया हो ,
स्वाद तो रस का लेना है ,

बिमारी का कारण रस ही तो है ,
फिर भी कई प्रकार भोग तो जाते हो ,
सेवन किया होता ज
Tag: कविता और1 अन्य
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