पहचान's image
ये जो काया है सब माया है ,
उत्तेजकता छाया है ,
इसके आगे क्या कुछ नहीं ?
अभी मुझे पता नहीं
यदि पता है तो यकीन नहीं ,

नहीं तो क्यों दोहराता अपने आदतों को ,
यदि आदतों के पार विश्वास होता कहीं ,
Tag: कविता और1 अन्य
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