दिशा भ्रमित's image
लिखना जो बन्द था , अहंकार मन गुल गया ,
लत तोड़ने लगा , तर्क का नर्क चलने लग गया ,
पढ़ता था जो खाली समयों में , खाली संसार से भर गया ,
चक्र में पुनः फसा , फिर से एक हार को जड़ गया ।
भ्रमण के
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