
अहंकार हमारा फूट पड़ा है,
सहमा-सहमा रहता बदलते,
सीमा अपना छूट चला है,
बहता न था जो आज बहा है।
पहल बार ये आज हुआ है,
हला-हल विषयों का वार किया है,
उच्चारण का उच्च स्वर से,
जबान नियंत्रण पार रहा है।
तोड़ा मान मर्यादा सारे,
पशुता का व्यवहार रहा है,
अहंकार जो फूट
सहमा-सहमा रहता बदलते,
सीमा अपना छूट चला है,
बहता न था जो आज बहा है।
पहल बार ये आज हुआ है,
हला-हल विषयों का वार किया है,
उच्चारण का उच्च स्वर से,
जबान नियंत्रण पार रहा है।
तोड़ा मान मर्यादा सारे,
पशुता का व्यवहार रहा है,
अहंकार जो फूट
Read More! Earn More! Learn More!