
क्या कुछ हो गया अन्तराल में ,
चल रहा अभी भी माया चाल मैं ,
सांत्वना देता आया उसके गुमान से ,
ज़रा ठहरा होता , तो लेता दरमियान हाल मैं ,
क्या कुछ ना हुआ अन
चल रहा अभी भी माया चाल मैं ,
सांत्वना देता आया उसके गुमान से ,
ज़रा ठहरा होता , तो लेता दरमियान हाल मैं ,
क्या कुछ ना हुआ अन
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