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पुस्तक समीक्षा: “उगता सूरज”

पुस्तक समीक्षा: “उगता सूरज”
लेखक: अंशुमान शर्मा ‘सिद्धप’
प्रकाशक : राजमंगल प्रकाशन
राजमंगल प्रकाशन बिल्डिंग, 1st स्ट्रीट,
सांगवान, क्वार्सी, रामघाट रोड,
अलीगढ उप्र.-202001
  
ISBN: 978-93-90894-29-1

हमारे समाज में भिन्न-भिन्न प्रकार के लोग रहते हैं और सभी की सोच अलग-अलग होती है। कोई ख़ुद को समाज से ऊपर मानता है तो कोई अपना सारा जीवन समाज की समृद्धि के लिए खर्च कर देता है। समाज इसीलिए नष्ट नहीं हो पा रहा क्योंकि अभी भी इस समाज में ‘अम्बाप्रसाद भार्गव’ जैसे लोग उपस्थित हैं और अपने जीवन की सारी कमाई और अपना सब कुछ लुटा कर समाज और समाज के लोगों को आगे बढ़ाने के लिए तत्पर है।

मैं बात कर रहा हूँ ‘उगता सूरज’ उपन्यास के किरदार ‘अम्बाप्रसाद भार्गव’ जी की। ये अंशुमान शर्मा ‘सिद्धप’ जी के द्वारा लिखा गया उपन्यास है जिसका मुख्य किरदार 'अम्बाप्रसाद' जी है जिनका एक जवान लड़का है, जिसकी शादी होने वाली है और अपनी पत्नी के साथ ख़ुशी का जीवन बिता रहे है। लेकिन इनके जीवन में कुछ कमी थी; कमी एक मकसद की और अपने सपने पुरे न कर पाने की।

अम्बाप्रसाद जी MBBS करके डॉक्टर बनना चाहते थे लेकिन पैसों की कमी के कारण से डॉक्टर न बन सके और पंडित बनकर मंदिर में अपनी सेवा देने लगे।
एक दिन कुछ ऐसा घटित हुआ कि पण्डित जी को इनका मकसद मिला और इन्होने शुरू किया एक संस्था ‘उगता सूरज’; एक ऐसी संस्था जो हर संभव प्रयास करती है कि किसी भी छात्र को पैसे या किसी कारणवश अपने सपनो को न छोड़ना पड़े। ये कहानी है अम्बाप्रसाद के संघर्षमय जीवन की; जो कैसे-कैसे पीड़ाओं को सहते हुए अपनी संस्था ‘उगता सूरज’ को चलाते रहते हैं। आपको ये पढ़ना बड़ा रोमांचित करेगा कि आख़िर संस्था के कारण गरीब बच्चों को क्या-क्या लाभ मिलता है और जब कहीं अम्बाप्रसाद जी बहुत उलझ जाते हैं तो कोई ऐसा आता है जो इसी संस्था से पढ़कर निकला होता है।

लेखक ने बहुत खूबसूरती से लिखा है की भीड़ का कोई समाज, कोई मज़हब और कोई दिमाग नहीं होता। हम बिना सोचे जब भीड़ में शामिल हो जाते हैं तो फिर बाद में सिवाए पछतावा के और कुछ भी नहीं मिलता है। लेखक ने भीड़ और मीडिया की सच्चाई को बखूबी और निडर होकर लिखा है। मीडिया वहीं जाती है जहाँ पर उसे TRP मिलना होता है और भीड़ बिना सोचे एक दिशा में बढ़ते जाती है। ये उपन्यास आपको कुछ देर एक जगह रोक कर सोचने पर मजबूर कर देता है।

लेखक का परिचय:

लेखक अंशुमान शर्मा गाँव मालिया खेर खेड

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