
पुस्तक समीक्षा: शोर... अंतर्मन का कोलाहल
लेखक: निशांत जैन
प्रकाशक: सन्मति पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स
ISBN : 978-9390539598
शोर एक ऐसी पुस्तक है जिसे पढने के बाद हमारे जीवन में पैदा हुए हजारों सवालों के जवाब मिलते हैं। समाज, पैसा और समाज में अमीर और गरीब का फर्क और फिर किसी गरीब का अमीर की तरह रहने की चेष्टा और कोशिश; ये सब ऐसी बातें है जो बहुत आम सी लगती हैं और इसके बारे में शायद इस समाज में रहने वाला हर चौथा व्यक्ति ज़रूर सोचता है।
शोर भी एक ऐसी ही कहानी है जिसमे बहुत सारे किरदार हैं लेकिन कोई भी किरदार बेकार में नहीं लिया गया है। कहानी एक हॉस्पिटल के बाहर से शुरू होती है; जहाँ एक घायल और बहुत ही बुरी स्थिति में एक आदमी पहुँचता है। उसे लोग हॉस्पिटल में एडमिट करवा तो देते हैं लेकिन वो मर जाता है। उसके पास से एक पर्ची मिलती है.. ताऊ जी की पर्ची। कहानी यहीं एक मोड़ लेती है।
कौन है ताऊ जी? क्यों मारा गया ये आदमी? कौन है ये? किसी के अन्दर इतनी दुश्मनी और नफरत कैसे हो सकती है कि इतनी बुरी तरह से किसी को मार दे? ऐसी बहुत सारी सवालों के साथ शुरू होती है कहानी शोर। सभी किरदार अपनी-अपनी जगह पर हैं और अपनी अपनी बात रखते हैं।
हमारे समाज में हो रहे बलात्कार के केस बढ़ते जाते हैं लेकिन उनमे से कितने केसेस का निवारण समय पर हो पाता है? लेकिन सोशल मीडिया को अपनी उँगलियों पर चलाने वाले लोग तो अपनी राय पल भर में दे देते हैं। कौन गलत है; कौन सही है; किसे सज़ा दी जानी चाहिए और कितनी सज़ा दी जानी चाहिए; सब कुछ। शोर के लेखक ‘निशांत जी’ ने भी सोशल मीडिया के हो रहे उपयोग और दुरूपयोग को भी क्या ख़ूब लिखा है।
एक बेबस पिता है जो इंतज़ार कर रहा है और अपनी अकेली बेटी को बिना माँ के पालता है। एक प्रेमी है जो अपनी आधी-कच्ची गर्लफ्रेंड के सिरहाने हॉस्पिटल में बैठा है। एक लड़की है जो गरीब है लेकिन अमीर घर के बच्चों को टक्कर देनी है उसे; जबकि कोई अमीर लड़का या लड़की उसे टक्कर देना भी नहीं चाहते। एक कपल है जो सिर्फ अब अपनी पति-पत्नी का रिश्ता निभा रहा है सिर्फ इस लिए कि समाज क्या कहेगा और वो इज्ज़त समाज में नहीं रहेगी।
ऐसे बहुत सारे बातों और रिश्तों का निचोड़ है ये शोर। शुरू-शुरू में अचानक से कई किरदार के आ जाने से मुझे भी कहानी को समझने में थोड़ी सी परेशानी हुई लेकिन कहानी जैसे-जैसे आगे बढती है तो मज़ा आने लगता है और सवाल पैदा होने लगते हैं; हम पढ़ते हुए रुक-रुक कर सोचने लगते हैं। आपको भी शोर एक बार ज़रूरी से पढनी चाहिए।
लेखक का परिचय:
आधे चार्टर्ड अकाउंटेंट और कभी पूरे स्टॉक ब्रोकर रहे निशान्त, आप सब की ही तरह, परिवार और रिश्तों तो अहमियत देते हैं लेकिन व्यक्तिगत आज़ादी भी इनके लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है। इनसे बात करना आपको सुकून देता है लेकिन इनके विचार आपको भीतर तक परेशान कर सकते हैं, झकझोर सकते हैं। इन्हें शुरु से ही पढ़ने का काफी शौक है और कुछ-कुछ लिखते भी रह