पुस्तक समीक्षा : सव्य साची - छल और युद्ध
लेखक : आकाश पाठक
प्रकाशक : बुकेमिस्ट ( सूरज पॉकेट बुक्स)
प्राचीन काल के जीवन को दर्शाते "सव्य साची" को हम उपन्यास न कहकर यदि एक ग्रंथ, पोथी अथवा कोई गाथा कहें तो गलत नही होगा, क्योंकि इसके आख़िर में भी लिखा है कि "आगे ज़ारी..."
ये एक बहुत बड़ी उपन्यास है जिसे प्राचीन काल को दिमाग में रख कर लिखा गया है और उतने स्पष्ट रूप के हिंदी शब्द को भी इस्तेमाल किया गया है जो प्राचीन काल में शुद्ध हिंदी के शब्दों और वाक्यों का इस्तेमाल होता था। आदिकाल में लोग अपने बच्चों को ऋषि मुनियों के साथ आश्रम और गुरुकुल में भेज देते थे जहां पुस्तकों के साथ साथ युद्ध की विधाओं को भी बच्चे सीखते थे।
इस उपन्यास में भी कौस्तुभ, शिखी, शतबहु जैसे योद्धाओं को मुख्य पत्रों की तरह दिखाया गया है और साथ ही अन्य बहुत सारे किरदार आते जाते रहते हैं। पूर्व काल में कैसे राज्यों और देशों के राजनीतिक सलाहकार और दल साथ काम करते और अपनी राज्य और देश की सीमाओं को बढाते थे और इसके लिए युद्ध होना तय होता था।
छल, क्रोध, माया, प्रेम और साहस से भरी एक अविस्मरणीय गाथा है "सव्य साची" जिसमे सामान्य मनुष्य और मायावियों के युद्ध भी है। षड्यंत्र भी हैं।
आपको ये किताब क्यों पढ़नी चाहिए?
इस उपन्यास में जैसी आदिकाल की कहानी है वैसी ही इस उपन्यास के किरदारों के नाम बिलकुल आदिकाल के ही नाम भी हैं जो बहुत रोचक लगते हैं।
इस कहानी के किरदारों के नाम जैसे आदिकाल के लगते हैं वैसे ही इसके स्थलों के नाम भी जैसे मलयपुरी, आम्रपाली, मरुभूमि, सर्पत वन, मेघपुरम, तिरमद्वीप और बहुत सारे अन्य स्थलों के नाम भी आदिकाल के नामों से हैं।
इस पुस्तक को पढ़ते समय आप खुद को