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पुस्तक समीक्षा : इश्क़ एक्सप्रेस

पुस्तक समीक्षा : इश्क़ एक्सप्रेस 
लेखक : पीयूष बैंदाड़ा
प्रकाशक : हिन्द युग्म ब्लू
सी 31, सेक्टर20, नोएडा (यू पी) 201301,


प्रेम सभी के जीवन में एक बार ज़रूर आता है और उस व्यक्ति की जीवन बदल जाती है। हर किसी की प्रेम कहानी अलग होती है। अधिकतर लोगों की प्रेम कहानीयां कॉलेज में शुरू होती है। बहुत सारे लोगों की प्रेम की नाव इश्क़ की नदी के किनारे पहुँच ही जाती है और वो मिल जाते हैं लेकिन बहुत सारे प्रेमियों की प्रेम कहानी कभी मज़हब के नाम पर, कभी जाति के नाम पर, कभी घर वालों के नही मानने से तो कभी समाज के डर से तो कभी किसी अन्य कारणों से अधूरा ही रह जाता है।

"इश्क़ एक्सप्रेस" भी एक खूबसूरत प्रेम कहानी है। "जिग्ना और पलाश" की प्रेम कहानी। पलाश राजस्थान का लड़का है जो स्नातक की पढ़ाई के लिए पंतनगर विश्वविद्यालय में दाखिला लेता है और जिग्ना दिल्ली की लड़की है जो दिल्ली में ही पढ़ती है। ये पढ़ना बहुत रोचक लगेगा कि इतने अलग-अलग जगह से आने वाले और अलग-अलग रहने वाले ये दो छात्र कैसे मिलकर एक दूसरे के लिए जीने लगते हैं। एक दूसरे के साथ प्रेम धागे में बंध जाते हैं।

इस उपन्यास में और भी कुछ किरदार हैं लेकिन इन सभी को लेखक ने नियति से सिर्फ उस समय पर इन दो मुख्य किरदारों से जुड़े हुए दिखाया है और ये सभी अपने-अपने किरदार निभाते चले जाते हैं। इसमें हॉस्टल का जीवन भी दर्शाया गया है और साथ ही यात्राओं को भी लिखा गया है। "जिग्ना और पलाश" की प्रेम कहानी भी एक यात्रा ही है। 

जब दो लोग प्रेम करते हैं तो उन्हें दुनिया के एक कोने से दूसरा कोना भी बस कुछ ही दूर लगता है। इस उपन्यास में भी "जिग्ना और पलाश" के कुछ घंटों की मुलाकात के लिए पलाश हमेशा रात भर की यात्रा रेल से करता है और शायद यही कारण रहा है कि इस कहानी को "इश्क़ एक्सप्रेस" नाम भी दिया गया है।

इस उपन्यास को पढ़ते हुए मैंने समझा कि दो प्रेमी, प्रेम में पड़कर कैसे कमज़ोर पड़ जाते हैं और एक दूसरे से मिलने के लिए कुछ भी करते हैं। इसे पढ़ते हुए आपको प्रेम महसूस होगा। लेकिन कहानी ख़त्म होते-होते इसके दूसरे भाग की बात कहते हुए ख़त्म हो जाती है। लेखक ने हर अध्याय ख़त्म करते समय कुछ सवाल छोड़ दिया है जिससे आगे की कहानी पढ़ने के लिए उत्साह बना रहता है। 

लेखक परिचय: 

डॉ. पीयूष बैंदाड़ा अमेरिका के कोलम्बिया में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिसौरी के स्कूल ऑफ़ मेडिसिन के आणविक माइक्रोबायोलॉजी तथा इम्यूनोलॉजी विभाग में शोध-वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैं। पीयूष ने भारत में हरित क्रांति की जननी, गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से कृषि में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। तत्पश्चात इन्होंने अपने शोध करियर का आरंभ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के स्कूल ऑफ लाइफ़ साइंसेज़ से किया और इसके बाद सीएसआईआर- इंस्टीट्यूट ऑफ़ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी, चंडीगढ़ से माइक्रोबायोलॉजी में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। "इश्क़ एक्सप्रेस" उन
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