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बेरोज़गारी और गुज़ारिश

कुछ दिनों पहले मैं एक इंटरव्यू देने गया था। जब हम इंटरव्यू के लिए जाते हैं तो बहुत सारे लोग मिलते हैं; कुछ आपके उम्र से बड़े और कुछ छोटे भी होते हैं। सभी में समानता यही होती है कि वो बेरोज़गारी में जी रहे होते हैं और कैसे भी, नौकरी पा लेने की जुगत में होते हैं। ऐसे सभी लोगों में एक और समानता होती है कि सभी के जेब बहुत ठंडे; मतलब की ख़ाली होते हैं। कुछ लोग होते हैं जिनके बड़े भाई या पिता या कोई ऐसा उनका बड़ा होता है जो मज़ाक-मज़ाक में जेब या अकाउंट में पैसे डाल देते हैं; तब उन्हें पैसों की तंगी बिलकुल महसूस नहीं होती है। ऐसे ही लोगों में मैं भी था; मेरे अब्बा ने मेरे अकाउंट मे पैसे डाल दिए थे।

ख़ैर! उस दिन मैं एक लड़के से मिला। मैं उसका नाम यहाँ लिखना चाहता हूँ लेकिन मैं लिख नही पा रहा हूँ; इसकी मेरी अपनी वजाहत है। खैर! इंटरव्यू में उसका सिलेक्शन नही हुआ और मुझे भी एक उम्मीद की लड्डू दे कर भेजा गया की HR का फाइनल कॉल आपको आ जायेगा। नियति कुछ ऐसी थी कि हम दोनो वहाँ से साथ निकले। दो-तीन घंटे साथ में उस दफ़्तर के कोरिडोर में बैठते-उठते इतनी दोस्ती तो हो ही गई थी कि हम साथ निकल सके; दोनो एक मायूसी के साथ निकले। मायूसी इसलिए कि दोनो को आस थी कि यहाँ हमारा कुछ हो जायेगा। 

मैंने बाहर आते ही कहा कि अगले चौराहे तक के लिए ऑटो ले लेते हैं। उसने मना कर दिया। कहता है "क्या यार इतनी करीब जाने के लिए क्या ऑटो लें; चलो वॉक करते हुए चलते हैं। एक दो किलोमीटर तो होगा ही; बस।" 
मैं आश्चर्यचकित होते हुए उसका चेहरा देखा और मुस्कुराते हुए कहा "बस।" 
वो भी हंसने लगा और हम दोनो "भारत देश, बेरोज़गारी और राजनीति" पर बात करते हुए आगे बढ़ गए। 

"वाकई देश में बहुत बेरोज़गारी आ गई है भाई।" उसने कहा।

" हां यार; मैंने भी "सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के ताजा आंकड़ों को पढ़ा; एक महीने में यानी जुलाई 2021 के मुकाबले अगस्त 2021 में 15 लाख के करीब जॉब अपॉर्चुनिटी घट गई और बेरोजगारी दर (Unemployment Rate) जुलाई के 6.96% से बढ़कर अगस्त में 8.32% हो गई. 
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के इंस्टीट्यूशनल हेड प्रभाकर सिंह ने बताया कि "जुलाई से अगस्त, 2021" के बीच एक महीने में करीब 40 लाख अतिरिक्त लोग जॉब मार्केट में नौकरी खोजने के लिए पहुंचे।" मैंने अपनी ताज़ा जानकारी साझा की।

"बताओ! खैर से भाई; एक बात की ख़ुशी है कि सिर्फ हम दो लोग ही नही हैं।" उसने कहा और हम दोनों हंसने लगे।

"यार जानते हो; इन आंकड़ों से ज़्यादा दुःख तो एक सवाल से होता है; क्या भाई कुछ हुआ तुम्हारे जॉब का; कब तक बेरोज़गार घूमोगे?" वो थोड़ा इमोशनल हो गया।

"अरे कोई न भाई; बोल दिया कर कि हो जायेगा।" मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा।

"भाई थोड़ा भूख लग रही है। चलो छोले-भटूरे खाते हैं।" मैंने अपने पेट पर हाथ फेरते और सड़क के किनारे छोले भटूरे के ठेले की तरफ देखते हुए बोला।

"अरे नही भाई। मैं अपने दोस्तों के साथ रहता हूं। उन्होंने मेरा खाना बना दिया होगा।" उसने मना किया। 

"यार; तुम्हारा घर इतना दूर है। तुमको पहुंचने में भी घंटे लगेंगे अभी। और टाइम तो देख; तीन बज ग
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