आँख से अपनी अगर शर्म-ओ-हया पूछेगा
तो गुनहगार गुनाहों की सज़ा पूछेगा
मेरे महबूब का दीदार मय्यसर हो तो
आँख में दिल को बिठा कर के मज़ा पूछेगा
सोच से मुझपर जहन्नुम को न वाजिब करना
Read More! Earn More! Learn More!
आँख से अपनी अगर शर्म-ओ-हया पूछेगा
तो गुनहगार गुनाहों की सज़ा पूछेगा
मेरे महबूब का दीदार मय्यसर हो तो
आँख में दिल को बिठा कर के मज़ा पूछेगा
सोच से मुझपर जहन्नुम को न वाजिब करना