फिर वही राहगुज़र क्यों न हो..."'s image
11K

फिर वही राहगुज़र क्यों न हो..."

---


"फिर वही राहगुज़र क्यों न हो..."


फिर वही राहगुज़र क्यों न हो,

कुछ पुरानी सी नज़र क्यों न हो।


जिस जगह टूट गए थे हम कल,

वो ही मंज़िल का सफर क्यों न हो।


बात ठहरी है लबों तक अब भी,

दिल में उठती वो सिहर क्यों न हो।


Read More! Earn More! Learn More!