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मनहरण घनाक्षरी छंद

जब गीत प्रेम के हैं, मधुर मिलन वाले,,
वियोग की तुम बाते, हमसे बतराओ न,,

प्रेम हैं अधूरा प्रिय, तप साधना तो फिर,
आधे अधूरे सपन, हमखा दिख
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