
अपने हिस्से के आंसू बहाए बगैर
कैसे रह जाए हम
इश्क का मर्ज पाला
और चैन से सो जाए हम
संग-दिल से नाजुक है उसकी तस्वीरें
क्यूं न उन तस्वीरों के हो जाए हम
बुत-परस्ती का हुनर हमसे बेहतर कौन जाने
उसकी बेजां आंखों में कैसे डूब
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