
वर्षो बीत गई जब सिसकी चीख कराह
सब के सब विलीन हुई
आंसू की धाराएं सूखी
वो हठ भी जानें कहां लीन हुई
फिर एक मीठी खुशबू से
वो धाराएं सजग हुई
आ
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वर्षो बीत गई जब सिसकी चीख कराह
सब के सब विलीन हुई
आंसू की धाराएं सूखी
वो हठ भी जानें कहां लीन हुई
फिर एक मीठी खुशबू से
वो धाराएं सजग हुई
आ