
जब कुछ न बचे कहने को तो कोई फसाना कह दो
सच झूठ कोई मुअदा नहीं तुम कोई बहाना कह दो
हमने बांध ली पट्टी आंखों पर
दरमिया मौज के उतार दो और किनारा कह दो
बचा कुछ नहीं सुनने को, न सुनने की ख्वाइश ही
गर
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जब कुछ न बचे कहने को तो कोई फसाना कह दो
सच झूठ कोई मुअदा नहीं तुम कोई बहाना कह दो
हमने बांध ली पट्टी आंखों पर
दरमिया मौज के उतार दो और किनारा कह दो
बचा कुछ नहीं सुनने को, न सुनने की ख्वाइश ही
गर