
नाकाम साजिशें सारी होती रही
और मैं मुस्कुराता रहा वो रोती रही
आगाज़े -हयात होता यूँ भी रहा..
जिंदगी रो कर खिलखिलाती रही
शहर में आ बसे, शहर से पराए
खेत की अपनी मिट्टी बुलाती रही
इस दहर
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नाकाम साजिशें सारी होती रही
और मैं मुस्कुराता रहा वो रोती रही
आगाज़े -हयात होता यूँ भी रहा..
जिंदगी रो कर खिलखिलाती रही
शहर में आ बसे, शहर से पराए
खेत की अपनी मिट्टी बुलाती रही
इस दहर