![वक़्त का साज़'s image](/images/post_og.png)
देखो सुना है आज मैंने, वक़्त का साज़,
साथ में सुर मिलाये है उम्र की आवाज़!
देखो वक़्त बिखरे ज़िंदगी की ज़मीन पे,
क्या होगा आगे कि किसका है आग़ाज़!
ख़्वाबों के अर्श पे दिल मेरा उड़ना चाहे,
खाली करो अर्श, दिल भर रहा परवाज़!
और भी लिखता, कि काग़ज़ हुआ खत्म,
अभी बाकी है, लिखने मुझको अल्फ़ाज़!
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