कभी लगता है ज़िंदगी बहुत तेजी भाग रही
कभी लगता वो छुपकर ख़िड़की से झांक रही
कभी लगता है वो मेरी आँखों में जाग रही
ना जाने क्या मेरी ख़ामोशियों में ताक रही
इस दिल में उठते जज़्बातों को ग़मनाक रही
लग रहा मेरी दिली ख़्वाहिश को हलाक रही
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