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तेरा शहर...

जब भी तेरे शहर की गलियों से गुजरने लगा हूँ

फ़िज़ाओं में प्यार की ख़ुशबू महसूस करने लगा हूँ..

रात और भी ख़ूबसूरत लगती है तेरे शहर की

मैं अपने शहर में सन्नाटा महसूस करने लगा हूँ..

वैसे तो अपने शहर की खबरों से नहीं हूँ वाबस्ता

पर तेरे शहर का अख़बार को रोज़ाना पढ़ने लगा हूँ..

Tag: नज़्म और3 अन्य
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