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तकलीफ़-ए-ज़िंदगी

मौत को तो लोगों ने यूँ ही बदनाम कर रखा है

रोज़ नई तकलीफ़ तो ज़िंदगी ने ही ज़्यादा दी है

मौत तो अपने आगोश में चैन की नींद सुलाती है

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