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रिश्तों का बाज़ार...

बिकता है हर शख़्स यहाँ, रिश्तों के बाज़ार में

नहीं बिकता वो रिश्ता, जो है दिल-ए-गुलज़ार में..

फ़र्क नहीं पड़ता उनको, जो रहते नहीं इंतज़ार में

हम तो रहते हैं यार, बस तेरे हसरत-ए-दीदार में..

अपने पन का झूठा दावा करते,

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