![नफ़रत-ए-यार...'s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40dr-sandeep/nafarata-e-yara/yaar_14-06-2022_15-53-19-PM.jpg)
वो ज़बान पर लफ़्ज़-ए-इंकार लिए फिरते हैं
जिससे टूटे दिल वो हथियार लिए फिरते हैं..
जिस हाथ को पकड़ जीने की चाह थी मेरी
उस हाथ में वो ख़ंजर-ए-खूंखार लिए फिरते हैं..!!
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हसरत-ए-दीदार को जिसके तरसती है मेरी आँखें
वो आजकल निगाहों में कटार लिए फिरते हैं..
हम जिसके क़दमों में फूलों जैसे बिछ जाना चाहते थे
वो उन
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