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कुछ तुम कहो...

चलो आज आपके हर लफ़्ज़, हर अल्फ़ाज़ सुनते हैं

आपके साथ बिताए गुज़रे लम्हों को यादों में बुनते हैं..

इन आँखों में बसे ख़्वाब सैल-ए-अश्क़ में बह न जाएं

चलो सबसे पहले आँखों में बिख़रे हुए सपने चुनते हैं..

उजड़ी हुई गुलिस्तान ए ज़िंदगी को सँवारने के लिए

चल आ इस छोटे शहर म

Tag: नज़्म और2 अन्य
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