जो ख़्वाब बह गए थे उन को मैंने संजो लिया
समेट कर उन को अपनी यादों में पिरो लिया..
अब शायद हल्की हो गई होंगी तुम्हारी आँखें
क्योंकि उनसे मैंने अपनी पलकों को भिगो लिया..
अब तुम फूलों से महकते नए-नए ख़्वाब सजाना
क्योंकि जो थे उनमें काँटें मैंने ख़ुदको चुभो लिया..
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