आज फ़िर इशारों ही इशारों में नया दिलासा दे गई वो
जैसे नींद आँखों से और सियाह रात से ओझल हो गई हो..
उदास हो गया ये बदक़िस्मत कुछ देर मुस्कुराने के बाद
जैसे मेरी ख़्वाहिशें सारी बंदिशों को तोड़ हवा हो गई हो..
ये बात पुरानी है कि उन्हें दिल से कभी चाहा था मैंने
अब क्या करूँ उससे दिल लगाकर मुझसे नादानी गई हो..
मैं कहता हूँ बख़्श दे ख़ुदा अगर मुझसे कोई ख़ता गई हो..
कहते हैं दोस्त हर वक़्त तू उसकी याद में खोया न कर
मैं क्या करूँ जब वो ख़ुद मुझे रक़ीब की बज़्म में ढूंढती हो..
जानता हूँ वो मुझ से आज भी बेपनाह मोहब्बत करती है
क्योंकि मेरी हर नज़्म के अल्फ़ाज़ों में खुद को ढूंढती है वो..!!
#तुष्य
Read More! Earn More! Learn More!