![ग़म-ए-जुदाई...'s image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40dr-sandeep/None/judai_26-02-2022_13-34-08-PM.jpg)
शब-हा-ए-हिज्र-ए-यार में दिल मेरा रोया बहुत है
तेरी ग़म-ए-जुदाई में दिल-ए-क़रार खोया बहुत है..
हसरत-ए-इंतिज़ार-ए-यार में आँखें पथराई हैं मेरी
आलम-ए-तसव्वुर में पलकों को भिगोया बहुत है..
मेरे दिल-ए-मुज़्तर को रंग-ए-बहार से सँवार दे यार
मैंने दर्द-ए-जज़्बात को अल्फ़ाज़ों में पिरोया बहुत है..
देख राह-ए-इश्क़ में अपने ख़ून से गुलाब बो रहा हूँ
शाख़-ए-गुलाब के काँटों को पैरों में चुभोया बहुत है..
एक बार देख तो सही मेरे जिस्म पर कितने ज़ख़्म हैं
मैंने खून भरे अश्क़ों से ज़हन-ए-जज़्बात धोया बहुत है..
दर्द-ए-सफर की तक़लीफ को कम कर दे मेरे ख़ुदा
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