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फ़िर मिलेंगे...

हो सके तो फ़िर मिलना वैसे ही अनजान बनकर

फ़िर साथ जिएंगे नई जिंदगी एक जान बनकर..

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मिलेंगे एक रोज़ फ़िर किसी नदी के किनारे हम

मुश्किलों में रहेंगे खड़े दोनों चट्टान बनकर..

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फ़िर तुम हाथ थामे रहना वैसे ही ज़िंदगीभर मेरा

मैं रहूँगा साथ हमेशा तेरे निगहबान बनकर..

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बन कर साया चलना साथ मेरे तू उसी तरह

मैं हरपल साथ निभाऊँगा

Tag: तुष्य और2 अन्य
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