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इंसानियत

शहर के नामी स्कूल में टीचर मोक्षदा परसों स्कूल में होने वाले वार्षिकोत्सव की तैयारियों में जी जान से जुटी हुई थी l शाम को घर थोड़ा लेट पहुंची तो उसने खाना फ़ूड डिलीवरी एप से ऑनलाइन आर्डर कर दिया और अपने लिए कॉफ़ी बना कर टीवी देखने बैठ गई l आर्डर करे डेढ़ घंटे से ज़्यादा वक़्त हो चुका था पर अब तक डिलीवरी एजेंट का फ़ोन तक नहीं आया l एप चेक करके शिकायत दर्ज करने ही वाली थी कि डोर बेल बजी l एक महिला डिलीवरी एजेंट हाथ मे खाने का पैकेट लिए खड़ी थी l उसके हाथ में चोट लगी थी और बाँह पर खरोंच के निशान थे l यह देख कर मोक्षदा थोड़ा चौंक गई और एक महिला को यह काम करते देख उसका गुस्सा काफूर हो गया l वह सहानुभूति से उस से बोली, "आप ठीक तो हैं ना....माफ़ कीजियेगा, ऐसा मुश्किल काम करने की कोई मजबूरी.... क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकती हूँ....? पर उस महिला के माथे पर शिकन का नामोनिशान तक नहीं था l वह बोली, " मुझे यह काम बुरा नहीं लगता मैडम l माफ़ करें... रेस्तरां से आर्डर रिसीव करने में थोड़ी देर हो जाने से मैं जल्दी में गाड़ी चला रही थी और

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