![रणभेरी's image](/images/post_og.png)
ना रुका अंधेरों से डरकर
मैं चला मशालों सा तनकर
हाथों में अपने अनल लिए
मन में इच्छाएं अटल लिए
मैं रुका नही, मैं थका नही
मुश्किल में पीछे हटा नही...
मैं आता हूं,इतना कहकर
चल दिया भेदने को लश्कर
आघात शत्रु ने प्रबल किए
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ना रुका अंधेरों से डरकर
मैं चला मशालों सा तनकर
हाथों में अपने अनल लिए
मन में इच्छाएं अटल लिए
मैं रुका नही, मैं थका नही
मुश्किल में पीछे हटा नही...
मैं आता हूं,इतना कहकर
चल दिया भेदने को लश्कर
आघात शत्रु ने प्रबल किए