
यूं तो काफ़ी नज़दीकियां रही हैं दरमियान हमारे तुम्हारे,
अब अनछुई क़िताब सा महसूस करती हूं, बस चले आओ।
इरादा बस इतना है कि मैं तेरे काबिल बन पाऊं किसी तरह,
अब जर
अब अनछुई क़िताब सा महसूस करती हूं, बस चले आओ।
इरादा बस इतना है कि मैं तेरे काबिल बन पाऊं किसी तरह,
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