झूठ का साथ दिया होता तो,
तू कँचन महल में होता आज।
तू त्याग शर्म का चोला बाना,
ये दुनिया करती तुझ पर नाज।
हे पगले सच के सौदागर,
तू जीवनभर पछताएगा।
सच अनमोल इसे कौन खरीदे,
तू कीमत यहाँ चुकाएगा।
भीष्म प्रतिज्ञा से बढ़कर है,
सच
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