माँ यूंही कह देती है
और
मैं भी यूंही समझ जाती हूं
मां कहती है
सब छोड़ दे
मैं..... को छोड़ दे
मैं को छोड़ दो
हर सवाल छोड़ दे
हर तकरार छोड़ दे
बस मिट्टी हो जा
मिट्टी से महान कुछ भी नहीं
मिट्टी में ही गुल बूटे उगते हैं
फूल पत्तियां महकती है
मिट्टी में पैदा होकर
आखिर मिट्टी में मिल जाता है सब
मिट्टी हो जा सकूं मिलेगा
न दुख होगा
न चिंता
बस हर तरफ सकूं हो
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