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कुछ लम्हें 

हर रोज़ किर जातें हैं..

वकत के हाथों ..

कुछ लहरें 

ख्यालों की उठती हैं..

ज़हन में, 

दिल की 

सुखी रेत को 

छू-कर 

लोट जाती हैं..


एक धुआँ सा 

उठता है मन में.. 

सब खोया खोया

सा लगता है... 

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