
(तीन दीवाने ) ~ दिलीप सिसोदिया (जैतारण)
(शहीद भगत सिंह ,शहीद राजगुरु और शहीद सुखदेव )
वो दीवानों में शुमार हो गए यारों
वतन के लिए सब कुछ छोड़ गए यारों
हँसती-खिलती ज़िन्दगी को मौत के रस्ते मोड़ गए,
हँसती-खिलती ज़िन्दगी को मौत के रस्ते मोड़ गए।
वतन की दीवानगी में क्या कर गए यारों ,
वतन की दीवानगी में क्या कर गए यारों ।
सुनना ज़रा
वतन से मोहब्बत इतनी थी कि अपने चाहने वालों को भूल गए
शहादत तो मंजिल थी उनकी
जो हँसते हँसते फांसी के फंदो से झ
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