गाँव जैसी बात शहर में कहाँ!
जहाँ पक्षियों के चहकने,
पशुओं के बंधी घंटियों एवं
पैरों की खनखनाहट सुनाई देती हो।
अपना गाँव...
जहाँ किसान खेत पर जाते हुए
पशुओं को चराते हुए
कड़कडाती ठंड में फसल में पानी देते हुए
औरतें कंडे बनाती हुई नज़र आती हो।
भले ही शहरों में रौनक हो
पर अपनापन नज़र आता नहीं
भले ही शहरों में सुख सुव
Read More! Earn More! Learn More!