कहीं आजादी का मनाया जा रहा था जश्न
तो कहीं आजादी की छीन जाने की मातम।
किसीको मिलकर भी आजादी
कीमत न आए समझ।
आजाद होके भी लगाए नारा
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कहीं आजादी का मनाया जा रहा था जश्न
तो कहीं आजादी की छीन जाने की मातम।
किसीको मिलकर भी आजादी
कीमत न आए समझ।
आजाद होके भी लगाए नारा