कुछ नयी सी लगती हू मैं...
कुछ पुराना तोड़, कुछ नया जोड़ती रहती हू मैं
दिन यूँ ही गुज़रते है, शामें ढलती है रोज़ ही की तरह
फिर भी...कुछ नयी
कुछ पुराना तोड़, कुछ नया जोड़ती रहती हू मैं
दिन यूँ ही गुज़रते है, शामें ढलती है रोज़ ही की तरह
फिर भी...कुछ नयी
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