
बहुत खास है वो पल
जब हमने हस कर बाते की थी,
थोड़ा होश भुलाकर थोडा ग़म भुलाकर,
बस बेमतलब सी बाते की थी...
बहुत खास है वो पल
क्योंकि वो बाते हमने बस वही छोड़ दी उस पल में
वो पल इतना सम्पूर्ण हैं, उस के बारे में बात कर के मैं बिलकुल भी छेड़ना नहीं चाहती,
पत्तों के घर सा है वो पल
बिखर जाए जो ज़रा सी आँच से, ये मैं नहीं चाहती...
मैं खुश हूं कि फिर तुमने भी बात नहीं की,
और उस पूर्णता पर सिर्फ मेरा हक्क रहा
तुमसे बात करने कि चाह बेशक हैं,
फिरसे होश भुलाकर बेमतलब सी बाते करने की आरजू अब भी है,
लेकीन दुआ मैं
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