
"वह लड़की हे वह बोल नही पाती"
समाज की इस कुरीतिओ से वो उभर नही पाती
बचपन से हर एक बात को जता नही पाती
ख्वाइसे खुदके दिल की पूरी कर नही पाती
वह लड़की हे....
हर एक कदम पे ठोकर हे खाती
हर पल हर लम्हा बेइज्जती खूब पाती
मुकाबला हर बात का वो कर नही पाती
बैज्जती ये समाजकी सह नहीं पाती
वो लड़की हे....
पढ़ाई के उस दौर में वो पढ़ नही पाती
अपनी उस उलजनो से वो सुलज नही पाती
खुबसुंदर इस जिंदगी को वो ज़ी नही पाती
ताने इस संसार के वो जेल नही पाती
वो लड़की हे.....
शादी की उम्र में इज्जत परिवार की करती
ख्वाईसे खुद की छ
समाज की इस कुरीतिओ से वो उभर नही पाती
बचपन से हर एक बात को जता नही पाती
ख्वाइसे खुदके दिल की पूरी कर नही पाती
वह लड़की हे....
हर एक कदम पे ठोकर हे खाती
हर पल हर लम्हा बेइज्जती खूब पाती
मुकाबला हर बात का वो कर नही पाती
बैज्जती ये समाजकी सह नहीं पाती
वो लड़की हे....
पढ़ाई के उस दौर में वो पढ़ नही पाती
अपनी उस उलजनो से वो सुलज नही पाती
खुबसुंदर इस जिंदगी को वो ज़ी नही पाती
ताने इस संसार के वो जेल नही पाती
वो लड़की हे.....
शादी की उम्र में इज्जत परिवार की करती
ख्वाईसे खुद की छ
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